राजस्थान की चित्र शैलियां
राजस्थान की चित्रकला शैली पर गुजरात तथा कश्मीर की शैलियों का प्रभाव रहा है।
राजस्थानी चित्रकला के विषय
- पशु-पक्षियों का चित्रण
- शिकारी दृश्य
- दरबार के दृश्य
- नारी सौन्दर्य
- धार्मिक ग्रन्थों का चित्रण आदि
राजस्थानी चित्रकला शैलियों की मूल शैली मेवाड़ शैली है।
सर्वप्रथम आनन्द कुमार स्वामी ने सन् 1916 ई. में अपनी पुस्तक “राजपुताना पेन्टिग्स”में राजस्थानी चित्रकला का वैज्ञानिक वर्गीकरण प्रस्तुत किया।
भौगौलिक आधार पर राजस्थानी चित्रकला शैली को चार भागों में बांटा गया है। जिन्हें स्कूलस कहा जाता है।
- मेवाड़ स्कूल :-उदयपुर शैली, नाथद्वारा शैली, चावण्ड शैली, देवगढ़ शैली, शाहपुरा, शैली।
- मारवाड़ स्कूल :- जोधपुर शैली, बीकानेर शैली जैसलमेर शैली, नागौर शैली, किशनगढ़ शैली।
- ढुढाड़ स्कूल :- जयपुर शैली, आमेर शैली, उनियारा शैली, शेखावटी शैली, अलवर शैली।
- हाडौती स्कूल :-कोटा शैली, बुंदी शैली, झालावाड़ शैली।
शैलियों की पृष्ठभूमि का रंग
- हरा – जयपुर की अलवर शैली
- गुलाबी/श्वेत – किशनगढ शैली
- नीला – कोटा शैली
- सुनहरी – बूंदी शैली
- पीला – जोधपुर व बीकानेर शैली
- लाल – मेवाड़ शैली
पशु तथा पक्षी
- हाथी व चकोर – मेवाड़ शैली
- चील/कौआ व ऊंठ – जोधपुर तथा बीकानेर शैली
- हिरण/शेर व बत्तख – कोटा तथा बूंदी शैली
- अश्व व मोर – जयपुर व अलवर शैली
- गाय व मोर – नाथद्वारा शैली
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