1509 ई. में जब राणा सांगा का राज्यभिषेक हुआ। तब दिल्ली का शासक सिकन्दर लोदी था। 1505 में उसने आगरा की स्थापना करवाई। 1517 में उसकी मृत्यु के उपरान्त इसका पुत्र इब्राहिम लोदी शासक बना। उसने मेवाड़ पर दो बार आक्रमण किया।
1. खातोली का युद्ध (बूंदी) 1518 2.बारी (धौलपुर) का युद्ध
दोनो युद्धो में इब्राहिम लोदी की पराजय हुई। 1518 से 1526 ई. तक के मध्य राणा सांगाा अपने चरमोत्कर्ष पर था। 1519 में राणा सांगा ने गागरोन के युद्ध में मालवा के शासक महमूद खिल्ली द्वितीय को पराजित किया।
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पानीपत का प्रथम युद्ध (21 अप्रेल 1526)
- मूगल शासक बाबर
- पठान शासक इब्राहिम लोदी
इस युद्ध में बाबर की विजय हुई और उसने भारत में मुगल वंश की नीव डाली। 1527 में बाबर व रााणा सांगा के मध्य दो बार युद्ध हुआ –
- फरवरी 1527 में बयाना का युद्ध (भरतपुर) सांगा विजयी,
- 17 मार्च 1527 खानवा युद्ध (भरतपुर)
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खानवा युद्ध (भरतपुर)
- बाबर – संयुक्त सेना
- मुगल सेना – राणा सांगा विजयी
- मारवाड शासक राव गंगा -इसने अपने पुत्र
- माल देव के नेतृत्व मे 4000 सैनिक भेजे
- बीकानेर – कल्याण मल
- आमेर- पृथ्वीराज कछवाह
- हसन खां मेवाती -खानवा युद्ध में सेनापति
- चदेरी का मेदिनी राय
- बागड़ (डूंगरपुर)का रावल उदयपुरसिंह व खेतसी
- देवलिया का राव बाघ सिंह
- ईडर का भारमल
- झाला अज्जा
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बाबर ने इस युद्ध को जेहाद (धर्मयुद्ध) का नाम दिया। इस युद्ध में बाबर की विजय हुई। बाबर ने गाजी (विश्वविजेता) की उपाधी धारण की। 1528 ई. में राणा सांगा को किसी सामन्त ने जहर दे दिया परिणामस्वरूप सांगा की मृत्यु हो गई। सांगा का अन्तिम संस्कार भीलवाडा के माडलगढ़ नामक स्थाप पर किया गया जहां सांगा की समाधी /छतरी है।
नोट :- राणा सांगा के शरीर पर 80 से अधिक धाव थे कर्नल जेम्स टाॅड ने राणा सांगा को मानव शरीर का खण्डहर (सैनिक भग्नावेश) कहा है।